लहसुन और प्याज का रोग नियंत्रण कैसे करें How to control the disease of garlic and onion.
रोग नियंत्रण
प्याज में लगने वाले प्रमुख रोग तथा उनकी रोकथाम के उपाय नीचे दिए जा रहे हैंबैगनी धब्बा
यह रोग फफूंदी के कारण होता है यह रोग पत्तियों बीज स्तम्भों और प्याज की गाँठो पर लगता है रोग ग्रस्त भाग पर छोटे सफेद धसे हुए धब्बे बनते हैं जिनका मध्य भाग बैगनी रंग का होता है और उनके चारों ओर कुछ दूरी पर फैला एक पीला क्षेत्र पाया जाता हैरोग के प्रभाव से पत्तियों और तने सूख कर गिर जाते हैं रोग की अवस्था में भी कंद गलने लगते हैं
रोकथाम
1 बीज को थायराम नामक दवा से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बोलना चाहिएइंडोफिल एम 45 की दूध से 5 किलोग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 8:00 से 10:00 दिन के अंदर पर छिड़काव करें लगभग 4 से 5 गांव करें
जिस खेत में रोग लगा हो उस में आगामी 2 से 3 साल तक प्याज और लहसुन नहीं बोना चाहिए
मृदु रोमिल आसिता (Downy midew)
यह रोग भी फफूदी के कारण होता है इस रोग के लक्षण पत्तियों पर धब्बे के रूप में होते हैं यह धब्बे आकार में अंडाकार से लेकर आयताकार तक होते हैं इनका रंग पीला होता है जिसके कारण पत्तियों में हरे पदार्थ की कमी के लक्षण उत्पन्न होते हैं रोग के प्रभाव से पत्तियों का रोग ग्रस्त भाग सूख जाता है रोगी पौधों से प्राप्त कंद आकार में छोटे होते हैं और साथ ही इनकी भंडारण क्षमता भी कम हो जाती है
रोकथाम
1 इंडोफिल एम 45 की 2.5 किग्रा मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से रोग के लक्षण दिखाई देते ही छिड़काव करें इसके बाद 7 से 8 दिन के अंतर पर छिड़काव करें2 . खेत में जल निकास का उचित प्रबंध करें
जीवाणु मृदु विगलन(Bacterial shoft rot)
यह रोग एक जीवाणु द्वारा होता है प्याज के कंदो का भंडार गृह में सड़ना एक समस्या है यद्यपि इस रोग का प्रारंभिक आक्रमण पौधों के परिपक्व होने की अवस्था में खेत में ही मिलता है किंतु खेत में साधारण रोग के लक्षण दिखाई नहीं देते परंतु रोग का भीषण प्रकोप होने पर कंद सङने के परिणाम स्वरुप पौधे अचानक मुरझा जाते हैं खोदने पर ऐसे कंद चिपचिपे सङे गले निकलते हैरोकथाम
1. कंदो को अच्छी प्रकार से सुखा कर उनके ऊपरी छिलकों की कटाई करके रखना चाहिए2 . कंदो को हवादार तथा काम पानी वाले गृहो में रखना चाहिए
ग्रीवा विगलन(Neck rot)
यह रोग बोट्राइटिस (Botrytis) नामक फफूदी की कई जातियों द्वारा होता है इस रोग के कारण प्याज के शल्क पत्र सडकर जलयुक्त धब्बे पैदा करते हैं कंदो के उत्तक मुलायम होकर सिकुड़ जाते हैं जो देखने में परिपक्व से लगते हैं और कंद सूखे से लगते हैंरोकथाम
1 .प्याज की कंदो को उखाड़ते समय चोट से बचाना चाहिए भंडारण करते समय कंदो के शीश को पूर्ण रूप से सुखा लेना चाहिए2 . वैज्ञानिक मत है कि प्याज की सफेद किस्मों में यह रोग जल्दी लगता है इसीलिए जहां तक संभव हो रंगीन किस्मो की खेती की जाए
प्याज का कंड (Smut) रोग
यह रोग भी फफूंदी के द्वारा होता है इस रोग के प्रथम लक्षण बीज अंकुरण के बाद जल्दी बीजपत्र पर दिखाई पड़ते हैं रोगी पत्ति तथा बीज- पत्रों पर काले रंग के ही स्पॉट बनते हैं इन स्पॉटों के फट जाने पर उनमें से असंख्य बीजाणु काले चूर्ण के रूप में निकलते हैं यह रोग एक पत्ती से दूसरी पत्नी पर फैलता हुआ पौधों के अंदर ही अंदर कंद की तरफ बढ़ जाता है रोगी पौधे 3 से 4 सप्ताह बाद मर जाते हैंरोकथाम
1 . बीज को बोने से पहले थायराम या कैप्टान 2.5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए2. मृदा को मैथिल ब्रोमाइड (1 किलोग्राम प्रति 25 वर्ग मीटर )के घोल से पौध रोपण से पूर्व उपचारित कर लेना चाहिए
कीट नियंत्रण
प्याज की फसल को थ्रिप्स और मैंगट काफी नुकसान पहुंचाते हैं इसके अलावा तंबाकू की सुंडी व रिजका की सुंडीथ्रिप्स (चूरदा )या भुनगा
यह किट लगभग 1 मिली मीटर लंबे बेलनाकार व पीले रंग के होते हैं कौन प्रौढ़ व् शिशु दोनों ही प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं इनके घरों चने व चूसने वाले मुख्य अंग होते हैं जब इन का प्रकोप अधिक होता है तो पत्तियों की नौकरी कत्थई रंग की हो जाती हैं तथा सूखी हुई सी प्रतीत होती हैं बाद में पूरा पौधा पीला या बुरा हो जाता है और सोच कर जमीन पर गिर जाता हैरोकथाम
इस कीट की रोकथाम के लिए 0.1 15 परसेंट साहित्य में तीन अथवा अथवा 016 2% 7 का 600 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए अथवा 750 मिलीलीटर मैलाथियान ऐसी 750 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करेंमैंगट (प्याज की मक्खी)
वयस्क मक्खी भूरे काले रंग की करीब 6 मिलीमीटर लंबी होती हैं इसके लार्वा(सुन्डिया ) जो सफेद व 8 मिली मीटर लंबे होते हैं प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं इसके लार्वा जमीन के अंदर वाले तने व गाँठ में छेद करके उनके अंदर के मुलायम भाग को खाते हैं जिसके कारण पौधे धीरे-धीरे मुरझाकर सूखने लगते हैं पौधे को उखाड़कर देखने पर गांठ का मांसल भाग खोखला दिखाई देता है केवल बाहरी भाग ही बचा रहता है इस तरह खेत में पौधों की संख्या बहुत कम हो जाती हैरोकथाम
1 .बुवाई के समय खेत में थीमेट नामक दवा 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें -2 . जब मक्खियां दिखाई दें उस समय साईपर्मेथ्रिन 0 . 15 %या मैलाथियान के 0.05% घोल का छिरकाव अच्छा रहता है छिड़काव 15 दिन के अंतर पैर करे
3.इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि यदि फसल में थिमेट 10 जी का प्रयोग किया गया है तो इस दवा को डालने के बाद 45 दिन तक प्याज का कोई भी भाग खाने के काम ना ले
तंबाकू की सुंडी
इस कीट की सुंडीयां बेलनाकार , हरे -पीले रंग की होती हैं पीठ पर काले धब्बे होते हैं, नवजात सुन्डिया सामूहिक रूप से पत्तियों की निचली सतह को खाती हैं तथा छोटे मुलायम पौधों को नष्ट कर देती हैं पुरानी पौधों की पत्तियों को खुरच -खुरच खाती हैं जब यह सुन्डिया बड़ी हो जाती है तो अकेले ही पत्तियों को चट कर जाती हैं यह एक सर्वभक्षी कीट है जो प्याज के अलावा तंबाकू, टमाटर, लहसुन आदि फसल को खाकर के नुकसान पहुंचाता हैरोकथाम
1.अंडों व सुंडियों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए2.अधिक प्रकोप होने पर 0 . 15% साइपरमेथ्रिन के घोल फसल पर छिड़काव करें
3 .फसल पर 4% सेविंन धुल का भुरकाव कर सकते हैं
रिजका की सुंडी
यह कीट भी प्याज की फसल को कभी-कभी हानि पहुंचाता है इस किट की सुंडी लंबी होती है और इसका रंग हरा भूरा होता है ऊपर की तरफ काले रंग की टेढ़ी -मेढ़ी धारियां होती हैं बगल में पीली धारियां होती हैं यह किट प्याज, मिर्च, बैंगन, मूली आदि की पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचा आता हैरोकथाम
1.अंडों व सुंडियों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए2.अधिक प्रकोप होने पर 0 . 15% साइपरमेथ्रिन के घोल फसल पर छिड़काव करें
3 .फसल पर 4% सेविंन धुल का भुरकाव कर सकते हैं
बोल्टिंग
गांठ के लिए उगाई जाए वाली फसल में ही कभी - कभी पुष्प डंठल निकल आते है जिससे प्याज की गुणवत्ता घट जाती है पुष्प डंठल को निकलना ही बोल्टिंग कहलाता हैइस प्रकार डंठल ही गांठ ने एकत्रित भोजन का उपयोग करते है जिसके कारण प्याज हलकी हो जाती है जल्दी रोपी गई फसल में बोल्टिंग अधिक है
उपज
उन्नत तौर तरीको से खेती करने पर एक हेक्टेयर से प्याज की 200 -250 कुंतल तक आसानी से मिल जाती है (हरी प्याज 60- 70 )तो कैसे लगी यह जानकारी? कमेंट में जरूर बताये !