सेब की खेती कैसे करें How to cultivate apple

सेब की खेती कैसे करें How to cultivate apple

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सेब की खेती कैसे करें How to cultivate apple

 सेब की उपयोगिता

सेब में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी और सी पाए जाते हैं ,खनिज लवणों में यह भी एक पल पर्याप्त रूप में धनी है सेब का सेवन हृदय मस्तिष्क जिगर और अमाशय को बल देता है गर्मी कोई भी यह दूर करता है।  सेब की चटनी मुरब्बा रैली साइडर इत्यादि पदार्थ बनाए जाते हैं जबकि कुछ जातियां साग-भाजी के रूप में भी प्रयोग की जाती हैं। 

सेब का उद्भव

सेब  की उत्पत्ति स्थानों के संबंध में विद्वानों में मतभेद है कुछ लोग यूरोप महाद्वीप तथा दक्षिण पश्चिमी एशिया के काला सागर के बीच स्थान को  सेब का मूल स्थान मांनते हैं हिमाचल प्रदेश में सेब को आदिकाल से उगाया जाता रहा है। सेब की प्रसिद्धि अम्बरी नामक जाति का मूल स्थान हिमालय और इस समय जाती कश्मीर के काफी बड़े क्षेत्रफल में उगाई जाती है। 

भूमि 

सेब के लिए मृतिका दोमट भूमि से अच्छी रहती है भूमि से पानी के निकास का उत्तम प्रबंध होना चाहिए कुछ कुछ अम्लीय भूमि सेब की खेती के लिए अनुकूल रहता है वह में पर्याप्त रूप से गहरा होना चाहिए हमारे देश के सेब उगाने वाले क्षेत्रों की भूमि मुख्य रूप से परती पड़ी हुई अवसादी शैलो अथवा  चट्टानों द्वारा निर्मित और मिट्टी से बनी है।

खाद और उर्वरक


 सेब के पेड़ों के लिए निम्नलिखित विधि से खाद उर्वरक डालना चाहिए।

पहले साल- पेड़ लगाने के बाद उसी वर्ष मार्च महीने में प्रत्येक पेड़ के ताले में 150 ग्राम के हिसाब से कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट मिलाना चाहिए।

दूसरे साल -प्रत्येक पेड़ के ताले में 10 किलोग्राम गोबर की खाद मिल आनी चाहिए इसके बाद हर साल 10 किग्रा के हिसाब से खाद की मात्रा बढ़ाते रहें इस तरह पांचवें साल 40 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी पड़ेगी इसके बाद भी हर साल 40 किग्रा के हिसाब से ही गोबर की खाद डालते रहे अथवा लगाने के 3 साल तक प्रति पेड़ 10 किलोग्राम गोबर की खाद 1 किलोग्राम हड्डी का चूरा और 4 किलोग्राम राख मिलाकर प्रत्येक वर्ष शीत ऋतु में देनी चाहिए।

इसके बाद खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए अथवा पेड़ के ताले में पहले साल 30ग्राम नाइट्रोजन 25 ग्राम फास्फोरस और 50  ग्राम पोटाश डालना चाहिए। इसके बाद हर साल इसी हिसाब से उर्वरक की मात्रा बढ़ाते रहें इस तरह 10 साल प्रत्येक पेड़ में 300 ग्राम नाइट्रोजन 250 ग्राम फास्फोरस और 500 ग्राम पोस्ट डालना चाहिए खाद और उर्वरक का प्रयोग पतझड़ के बाद चाहे जब किया जा सकता है।

नाइट्रोजन और पोटाश की आवश्यक मात्रा को उपलब्ध कराने के लिए उन लोगों की कुछ मात्रा को खेत में एक सच लेकर उसे कुदाल अथवा फावड़े से अच्छी तरह ढूंढें मिला देनी चाहिए फास्फोरस का प्रयोग पेड़ों के चारों ओर 10 सेंटी मीटर की गहराई तक करनी चाहिए।

सेब के पौधों को कैसे तैयार करें


 सेब के पौधों को दो प्रकार से तैयार किया जाता है

1. चश्मा बांधकर  2. कलम लगाकर या फिर रोपड़

 सेब के बने पेड़ तैयार करने के लिए मूल पौधों के रूप में सेब की नामक किस्म की प्रयोग की जाती है चश्मा बांधने अथवा कलम लगाने के लिए लगभग 1 वर्ष की उम्र के पौधे प्रयोग किए जाते हैं और चश्मा अथवा कलम बसंत ऋतु से प्रारंभ में लगाई जाती हैं कलम लगाने के लिए लगाए गए

 पौधों को क्यारी में इस प्रकार लगाना चाहिए कि उनके बीच में 40 से लेकर 90 सेंटीमीटर तक दूरी रहे चश्मा बांधकर सेब के पेड़ उत्पन्न करना उत्तम  है।  सितंबर के महीने में चश्मा बांध कर किया  जाता है ग्राफ्टिंग विधि से सेब के पेड़ उत्पन्न करने के लिए टंग ग्राफ्टिंग विधि अधिक सफल सिद्ध हुई है टंग  ग्राफ्टिंग कुमायूं की पहाड़ियों में वसंत ऋतु में किया जाता है।

सेब के पौधे कैसे लगाने चाहिए

 सेब के पौधे जाड़ों के दिनों में दिसंबर-जनवरी में लगाए जाते हैं उन स्थानों पर जहां बर्फ अधिक पड़ता है बसंत ऋतु में भी पौधे लगाए जाते हैं सेव लगाने के लिए 90 सेंटीमीटर गहरे हुआ 90 सेंटीमीटर व्यास के गोलाकार गड्ढे खोदे जाने चाहिए इन गड्ढों की आपस की दूरी 6 से 7 मीटर रखनी चाहिए। गड्ढों को गोबर की खाद और मिट्टी से भर कर छोड़ देना चाहिए और उचित समय पर पौधे लगाकर सिंचाई कर देनी चाहिए पौधे लगाने के बाद उनके ख्यालों में बना देना चाहिए।

 पौधों को सीधा रखने के लिए उनको सीधी लकड़ी के सहारे बांध दें और थालो  में से समय-समय पर खरपतवार उखाड़ दे ताकि पौधों का अच्छा विकास हो सकेसेब सेब  की अधिक पैदावार लेने के लिए उनके थालो  को पत्तियों से ढकना आवश्यक है।

सिचाई 

पौधों को अपने प्रारंभिक काल में बसंत तथा ग्रीष्म ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता होती है जिस क्षेत्र में हमारे देश में सेब के बाग हैं पर्याप्त वर्षा होने के कारण पौधों के एक बार लग जाने से फिर उन्हें सींचने  की आवश्यकता नहीं होती।

कटाई और छटाई 

1. फलदार पेड़ों की कटाई छटाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

2. सिर के ऊपरी भाग से शुरू कर के भीतर की ओर कटाई करनी चाहिए।

3. कटाई करते समय सूखी रोटी और टूटी हुई शाखाओं को काट देना चाहिए।

4. पेड़ के जिस भाग में शाखाएं बहुत घनी हो उनमें से कुछ शाखाओं को काट देना चाहिए।

 5. मुख्य शाखाओं पर दूसरी और उन पर तीसरी शाखाएं निकलती हैं इनमें से जो शाखाएं ऊपर और नीचे की ओर सीधी बढ़ रही हो उनको काट देना चाहिए।

6. अधिक आयु की फल वाली फसल को काट देना चाहिए।

7. पेड़ों में हल्की छटाई करना अच्छा रहता है।

कटाई छटाई का काम सर्दियों में करना चाहिए क्योंकि उन दिनों पेड़ों में किसी तरह की बढ़वार नहीं होती है।

सेब के फूल को गिरने से कैसे रोके

सेब के पौधों में फरवरी-मार्च में फूल आता है कल के दिन सप्तशती जातियों के अनुसार अक्टूबर से अगस्त तक पकते हैं समय से पहले बालों को गिरने से रोकने के लिए निम्न उपायों को अपनाना चाहिए

 1.पेड़  के थालो में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए।

 2.भूमि में और पेड़ों में सुहागा और मैग्नीशियम की कमी नहीं होनी चाहिए।

3.अल्फा मैथिली एसिटिक एसिड का छिड़काव 1.5 मिलीलीटर पानी की दर से करना चाहिए।

उपज 

सेब के प्रति पेड़ से लगभग 100 से 80 किलोग्राम फल मैदानों में 200 से 300 किलोग्राम तक पहाड़ों पर मिलते हैं एक हेक्टेयर में लगभग 250 पेड़ लगते हैं अतः प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 250 क्विंटल सेब मैदानों में 500 से 600 क्विंटल पहाड़ों पर प्राप्त होते हैं।