गांठगोभी की खेती कैसे करें-How to cultivate lump cabbage.
गांठगोभी
(Knol-khol)
वानस्पतिक नाम -Brassica oleracea L. var . caulorapa
कुल-Brassicaceae
कुल-Brassicaceae
गांठगोभी -गांठगोभी का पौधा लगभग 30 से 50 सेंटीमीटर ऊंचा होता है धड़ फूलकर गांठ के रूप में हो जाता है इसी को शाक के लिए प्रयोग किया जाता है इसकी फुले हुए धड़ पर थोड़े से पत्ते होते हैं गांठगोभी का मूल स्थान उत्तरी यूरोप है यह सब्जी शलजम के आकार के गठीले तने लेने के लिए बोई जाती है लेकिन यह फूल गोभी अथवा पात गोभी के समान लोकप्रिय नहीं है यह स्वाद मेंअन्य सब्जियों में समानता करने में क्षमता नहीं रखती गांठगोभी पशुओं के चारे के रूप में खिलाए जाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है.
- अगेती अथवा अल्पकालीन किस्मे -व्हइट वियना ,अर्लीएस्ट हाइट |
- पछेती अथवा दीर्घकालीन किस्मे -परपिल वियना , यलो वियना, ग्रीन वियना |
वहइट वियना - यह एक बहुत प्रसिद्ध प्रचलित किस्म है व शीघ्र तैयार होने वाली है इसकी गाठे हल्की हरे, गोलाकार, चिकनी व मध्यम आकार की होती हैं.
परपिल -यह किस्म अपेक्षाकृत पछेती है इसकी गांठे बैगनी गोलाकार चिकनी व मध्यम आकार की होती हैं .
यलो वियना -यह भी एक पछेती किस्म है इसकी गांठें सुनहरे पीले रंग की गोलाकार का छोटे आकार की होती हैं इनका गूदा क्रीम रंग का होता है.
1 . भूमि
अन्य गोभीयो के समान गांठगोभी के लिए दोमट (Loam)मिट्टी सर्वोत्तम रहती है लेकिन बलुई दोमट की अपेक्षा मृतिका दोमट(clay loam) भूमि में गांठगोभी अच्छी उपज देती है2 . भूमि की तैयारी
गांठगोभी के लिए भूमि की तैयारी पातगोभी के समान ही की जाती है प्रायः 4 से 5 बार की जुताईयां पर्याप्त होती हैं खेत को 2 -3 पटेला देकर चौरस और ढीले रहित बना लेना चाहिए खेत की तैयारी के समय थी उसमें गोबर इत्यादि खाद डाल देना चाहिए3 . खाद तथा उर्वरक
गांठगोभी की अच्छी उपज लेने के लिए लगभग 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है खेत को तैयार करते समय लगभग 100 से 150 क्विंटल गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिला देनी चाहिए खेत में रोपाई से पहले लगभग 60किलोग्राम नाइट्रोजन तथा फास्फोरस एवं पोटाश की दी गई पूरी मात्रा में डाल देनी चाहिए इसके बाद एक महीने बाद खड़ी फसल में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन टॉपड्रेसिंग के द्वारा देनी चाहिए और इसके बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए4 . पौधे तैयार करना
गांठगोभी की पहले रोपड़ क्यारी में पौध तैयार करनी होती है रोपड़ क्यारी (नर्सरी) का आकार 5×1.2 मीटर रखना चाहिए 125 वर्ग मीटर में नर्सरी डालनी चाहिए एक हेक्टेयर में बोने के लिए लगभग 1 किलो से लेकर सवा किलो बीज की आवश्यकता होती है गांठगोभी की पौध तैयार करने का सर्वोत्तम समय सितंबर का महीना है लेकिन अगस्त से लेकर अक्टूबर नवंबर तक गांठगोभी की पौध बोई जाती है रोपड़ के आरई तैयार करने और बीज बोने के ढंग पातगोभी के समान ही होती है नर्सरी में बीज 1 सप्ताह के अंतर से बोना चाहिए जिससे कि सारी एक समय ही खेत में रोपने के लिए तैयार हो जाए पहाड़ी क्षेत्र में गांठगोभी का बीज मई-जून में बोया जाता है5 . पौध रोपण
जब रोपण क्यारी में गांठगोभी के पौधे 10 सेंटीमीटर के हो जाएं तो उन्हें खेत में रोपे जाने योग्य समझ लेना चाहिए 3 से 4 सप्ताह पुरानी पौधे लगाते हैं गांठगोभी की पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 30 सेंटीमीटर और पंक्तियों से पौधों की आपस की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए और रोपने के तुरंत बाद खेत में सिंचाई करनी चाहिए अधिक समय तक सरकारी को प्राप्त करने के लिए पौधों को खेत में 8-8अथवा 10 दिन अंतर से 3 - 4 बार रोपना चाहिएगांठगोभी के पौधे को तैयार ना करके हम उसका बीज भी खेत में बो सकते हैं लेकिन ऐसा करने से पर प्रति हेक्टेयर लगभग 4 से 5 किलोग्राम बीज प्रयोग करना होगा
6 . सिंचाई
गांठगोभी की फसल में कई बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है आंचल में गांठगोभी की फसल खेती के लिए सिंचाई की उत्तम प्रबंध की आवश्यकता होती है
7 . निराई गुड़ाई
निराई गुड़ाई इस फसल के लिए पातगोभी के सामान की जानी चाहिए यदि गांठगोभी की फसल सीधे खेत में ही बोकर उगाई गई हो तो पहली निराई के समय लाइन में फालतू पौधों को इस प्रकार निकाल फेंकना होगा कि उनके आपस की दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर हो जाए यह काम उस समय करना सर्वोत्तम रहता है जब पौधों में3 -4 पत्तियाँ आ जाएं
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